जिस नियम में सीएम गहलोत ने राहत प्रदान की, उसी घोषणा के प्रति लापरवाह बना चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग
जून 2002 के बाद जिन कर्मचारियों के तीसरी संतान हुई है उन कर्मचारियों को रिव्यु डीपीसी कर वेतन का
पुन: निर्धारण कर नियमों से प्रभावित कर्मचारियों को राहत प्रदान करने के स्पष्ट निर्देश दिए थे सीएम ने
बीकानेर। राजस्थान में सरकार की जन कल्याणकारी स्वास्थ्य योजनाओं की सफलता के लिये समर्पित होकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी अपने ही विभाग की योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। जानकारी में रहे कि सीएम अशोक गहलोत ने अपने शासनकाल के चार साल पूरा करने के उपलक्ष्य में सरकारी कर्मचारियों को राहत देने के लिये अनेक घोषणाएं कर चुके हैं लेकिन विडम्बना है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग सीएम गहलोत की घोषणाओं को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है। दरअसल सरकारी कर्मचारी के एक नियम के अंतर्गत जून 2002 के पश्चात तीसरी संतान उत्पन्न होने पर 5 वर्ष तक उनको पदोन्नति से वंचित रखा जाता था कर्मचारियों और कुछ संगठनों द्वारा लम्बे समय से इन नियमों में शिथिलता की मांग को गंभीरता से लेते हुए सीएम अशोक गहलोत ने इसी वर्ष मार्च में इन नियमों छूट देते हुए घोषणा की।
जिसमें जून 2002 के बाद जिन कर्मचारियों के तीसरी संतान हुई है उन कर्मचारियों को रिव्यु डीपीसी कर वेतन का पुन: निर्धारण कर नियमों से प्रभावित कर्मचारियों को राहत प्रदान की जाये। कार्मिक विभाग की ओर से इस संबंध में आदेश भी जारी किया जा चुका है। सीएम गहलोत ने कैबिनेट बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि ऐसे सारे मामले 31 अगस्त 2023 से पूर्व निपटा लिए जाएं। लगभग सभी विभागों में ऐसे वंचित कर्मचारियों की रिव्यु डीपीसी कर उनको राहत प्रदान की जा चुकी है। मगर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी कार्मिक विभाग आदेशों के तहत विभाग के चिकित्सकों और कार्मिकों को राहत देने में गंभीरता नहीं दिखा रहे है। हैरानी की बात तो यह है कि विभाग की ओर से कार्मिक विभाग के आदेशों की पालना में अभी तक नोटिफिकेशन भी जारी नहीं किया गया है ना ही वंचित कर्मचारियों से परिवेदनाएं मांगी गई है। इससे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों और कार्मिकों में रोष की लहर गहराती जा रही है।