हर क्षण और हर श्वांस में करें प्रभु का भजन-सुमिरन : श्रीसुखदेवजी महाराज

भगवान श्रीकृष्ण जन्मे : जेल के दरवाजे खुल गए, पहरेदार सो गए, सजीव झांकियों के साथ मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
रविवार को मनाएंगे नन्दोत्सव, बृजलीलाओं का होगा वर्णन
बीकानेर। पूगल रोड स्थित माखनभोग में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस वामन अवतार, नृसिंह अवतार एवं गजेन्द्र मोक्ष की महिमा तथा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। कथा वाचक संत श्रीसुखदेवजी महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में देवकी-वासुदेव के यहां हुआ। जन्म होते ही जेल के दरवाजे खुल गए, पहरेदार सो गए और वासुदेव ने श्रीकृष्ण को टोकरी में रख सिर पर लेकर नंद बाबा के यहां ले गए। श्रीकृष्ण जन्म के साथ ही कथा पांडाल में श्रद्धालु झूम उठे। सजीव झांकियों में वामन अवतार और श्रीकृष्ण जन्म को दर्शाया गया। श्रीसुखदेवजी महाराज ने कहा कि भगवान के भजन करने की कोई उम्र नहीं होती, बचपन से ही हमें भजन और प्रभु सुमिरन की आदत डाल लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कहीं किसी भी शास्त्र में ऐसा नहीं लिखा है कि 40 या 50 की उम्र के बाद भजन करना चाहिए। हर समय, हर क्षण भगवान का स्मरण और भजन करना चाहिए। वृद्धावस्था में आपके शरीर की क्या स्थिति हो, आप प्रभु का नाम भी ढंग से ले पाएं या नहीं, इसलिए कल पर मत टालें और आज से ही हर समय प्रभु का ध्यान करें, हर श्वांस में प्रभु का नाम लें। आयोजन से जुड़े घनश्याम रामावत ने बताया कि रविवार को कथा पांडाल में नन्दोत्सव मनाया जाएगा तथा श्रीकृष्ण की बृजलीलाओं के बारे में वर्णन होगा। शनिवार को यजमान अक्षय रामावत ने पौथी पूजन किया तथा गौसेवक देवकिशन चांडक, पं.राजेन्द्र किराड़ू, नृसिंह मिमाणी, राजेश चूरा, पृथ्वीसिंह पंवार, गौरीशंकर व्यास, लोकेश अरोड़ा, नारायण सोनी, रविन्द्र हर्ष, अशोक किराड़ू, संतोषानंद महाराज, नित्यानंद पारीक, श्याम करनाणी, भंवरलाल चांडक, देवकिशन राठी, मोहनलाल आचार्य एवं रामेदव अग्रवाल आदि आरती में शामिल रहे। कथा के पश्चात् श्रीकृष्ण जन्म की बधाई पद प्रसिद्ध हवेली संगीत व शास्त्रीय संगीतज्ञ नारायणदास रंगा द्वारा गाए गए।
