मुख्य वाहन बाघ और उपवाहन अश्व पर सवार होकर आएगी मकर संक्रांति, कुम्हार के घर होगा निवास
14 जनवरी 2025, मंगलवार को भगवान सूर्य का सुबह 9 बजे मकर राशि में होगा प्रवेश
बीकानेर। पंचांग के अनुसार इस बार 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व शीत ऋतु के खत्म होने और बसंत ऋतु के शुरुआत की सूचना देता है। जब सूर्य एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है, तो इसे संक्रांति कहते हैं और जब सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि 14 जनवरी 2025, मंगलवार के दिन भगवान सूर्य का सुबह 9 बजे मकर राशि पर प्रवेश होगा और मांगलिक कार्य फिर शुरू जाएंगे।
शनिदेव मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। शनिदेव के पिता सूर्यदेव है। सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। पं. गिरधारी सूरा ने बताया कि 16 दिसंबर 2024 से चल रहा खरमास 14 जनवरी को खत्म हो जाएगा। इसके बाद सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। पंचांग के अनुसार 16 जनवरी से विवाह का लग्न भी शुरू हो जाएगा। जनवरी से जून तक प्रत्येक माह लग्न का दिवस है। जनवरी माह में 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 2४ व 27 को लग्न है।
काले तिल से करें स्नान, तीर्थ दर्शन, और दान-पुण्य से भाग्य होगा जागृत
पं. गिरधारी सूरा ने बताया कि मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों, विशेष रूप से गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में स्नान करना शुभ होता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्नान से पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है। इस दिन सफलता और समृद्धि के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है जिन्हें ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति पर कुंभ मेला, गंगासागर मेला आदि आयोजित किए जाते हैं। तिल से बनी वस्तुओं, कंबल एवं वस्त्रादि का दान करना शुभ माना जाता है। यदि नदी में स्नान नहीं कर सकें तो बालटी में ही काले तिल डाल कर स्नान करें। मकर संक्रांति पर गाय को हरा चारा खिलाने, सूर्य को अध्र्य देना और विष्णु पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा करने की परंपरा भी है। तीर्थ दर्शन, नदी स्नान और दान पुण्य के साथ ही पितृ तर्पण करने की परंपरा भी है।
शास्त्रों में कहा गया है कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से पुण्यों की प्राप्ति होती है। भगवान भाग्य को जागृत करते हैं। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि और उन्नति की पूर्ति होती है. इस दिन तिल के लड्डू भगवान सूर्य को अर्पित करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। सुबह उठकर स्नान के बाद जल में काले तिल डालकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें। खिचड़ी का दान करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. ऐसा करने से सूर्य देव और शनि देव दोनों की कृपा प्राप्त होती है. घर में धन धान्य की बढ़ोतरी होती है. हर काम बनते चले जाते हैं। मकर संक्रांति पर अग्नि में काले तिल से आहुति दें। साथ ही तिल मिलाकर खाना खाएं। आदित्य हृदय स्तोत्र व सूर्य चालीसा के पाठ का लाभ मिलता है। इस दिन ऊनी वस्त्र, कंबल, धार्मिक पुस्तकें, खासकर पंचांग का दान करना पुण्य फलकारक माना गया है।
सोना-चाँदी व दाल-दलहन व दूध में हो सकती है वृद्धि
पं. गिरधारी पुरोहित ने बताया कि इस बार संक्रांति कुम्भकार (कुम्हार) के घर में निवास करेगी। (पीत वस्त्र, गदायुधम, रौप्य पात्र, पय भक्षणम, कुमकुम लेपन, भूतजाति जातिपुष्प, कंकना भूषणम, पर्ण कंचुकी, कुमारावस्था बैठी।) इस वर्ष मकर संक्रांति का मुख्य वाहन व्याघ्र (बाघ) और उपवाहन अश्व (घोड़ा) होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संक्रांति के वाहन का समाज और प्रकृति पर विशेष प्रभाव पड़ता है। बाघ वाहन होने से इस वर्ष शेयर बाजार, सोना-चांदी, चावल, दूध और दलहन आदि के दाम बढ़ सकते हैं। साथ ही राजा के प्रति विरोध की भावना बढ़ सकती है, पुजारी वर्ग, संन्यासियों और जनता को कष्ट हो सकता है। भ्रष्टाचार में वृद्धि और देश का कर्ज बढऩे की संभावनाएं हैं।