भाग्य बदलती है गौमाता : गौपाष्टमी पर करें ये कार्य
बीकानेर। मनुष्य अगर जीवन में गौमाता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता मोक्ष दिलाती है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूंछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है। बीकानेर के जाने-माने ज्योतिर्विद पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौमाता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जुड़़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएं बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती हैं। गोपाष्टमी के दिन गाय का पूजन करके उनका संरक्षण करने से मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
लोग पूजा-पाठ करके धन पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन भाग्य बदलने वाली तो गौ-माता है। उसके दूध से जीवन मिलता है। रोज पंचगव्य का सेवन करने वाले पर तो जहर का भी असर नहीं होता और वह सभी व्याधियों से मुक्त रहता है। रोज सुबह गौ-दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया। पं. गिरधारी सूरा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार 9 नवंबर 2024 शनिवार गोपाष्टमी है। गोपाष्टमी के दिन सुबह ही गाय और उसके बछड़े को नहलाकर तैयार किया जाता है। उसका श्रृंगार किया जाता हैं, पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं,अन्य आभूषण पहनायें जाते हैं। गौ माता के सींगो पर चुनड़ी का पट्टा बाधा जाता है।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके गाय के चरण स्पर्श किये जाते हैं। गाय माता की परिक्रमा भी की जाती हैं। इस दिन ग्वालों को भी दान दिया जाता हैं, कई लोग इन्हें नये कपड़े देकर तिलक लगाते हैं। शाम को जब गाय घर लौटती है, तब फिर उनकी पूजा की जाती है, उन्हें अच्छा भोजन दिया जाता है। खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता हैं। जिनके घरों में गाय नहीं होती है वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करते है, उन्हें गंगा जल, फूल चढ़ाते हैं, गुड़ खिलाते हैं। गौशाला में खाना और अन्य सामान का दान भी करते हैं। कृष्णजी की भी पूजा करती है, गाय को तिलक लगाती है। गौ स्तोत्र का पाठ करें, गौमाता की चरण रज मस्तक पर लगाने से समस्त प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।