अब नहीं मिलेगी तारीख पर तारीख, कल से नया कानून लागू
नई दिल्ली। एक जुलाई से देश भर में लागू हो रहे तीन नए कानूनों को लेकर यूपी पुलिस ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सभी पुलिसकर्मियों को इसे लेकर जानकारियां दी गई. नए कानून लागू होने के बाद मुकदमा से लेकर अदालत का फैसला आने तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. इतना ही नहीं भारत आपराधिक न्याय प्रणाली में तकनीकी का इस्तेमाल करने वाला देश भी बन जायेगा. इतना ही नहीं थाने से लेकर कोर्ट के चक्कर लगाने वाले पीडि़तों को तारीखों के मायाजाल से भी मुक्ति मिलेगी. नए कानून के तहत न्याय प्रक्रिया से जुड़े सभी संस्थानों के लिए समयबद्ध कार्यवाही और न होने पर जवाबदेही भी तय होगी.
इसके तहत 35 आपराधिक धाराओं में कार्यवाही के लिए समय सीमा भी तय कर दी गई है, ताकि तारीख पर तारीख वाली व्यवस्था को खत्म किया जा सके. नए आपराधिक कानून के तहत तीन वर्ष के अंदर न्याय दिलाने की व्यवस्था होगी. कोर्ट में पहली सुनवाई के 60 दिनों के अंदर आरोप तय करना होगा. तो वहीं आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर फैसला भी सुनाना होगा. यौन उत्पीडऩ के मामले में जांच सात दिन में पूरी करनी होगी. इतना ही नहीं किसी का मुकदमा वापस लेने से पहले पीडि़त को सुनवाई को मौका दिया जाएगा. आवाज़ का नमूना लेने के लिए हिरासत में लेना जरूरी नहीं होगा. सात साल से अधिक की सज़ा के मामलों में तकनीकी सबूत के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञ को मौके पर जाना होगा.
नए आपराधिक कानून के प्रमुख बिंदु
इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के 3 दिनों में दर्ज एफआईआर करनी होगी.
यौन उत्पीडऩ के मामले में 7 दिनों जांच पूरी करनी होगी.
पहली सुनवाई 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान.
भगोड़े अपराधियों की गैर मौजूदगी में 90 दिनों के भीतर केस दर्ज होगा.
45 दिनों के अंदर पूरी होगी आपराधिक मामलों की सुनवाई.
छोटे मामलों में सामुदायिक दंड का प्रावधान, विधि भारतीय दर्शन के अनुरूप.
पांच हज़ार रुपए से कम की चोरी में सामुदायिक सेवा का प्रावधान.
छह अपराधों में सामुदायिक सेवा का प्रावधान.
महिलाओं, बच्चों के खिलाफ अपराधों से संबंधित 35 धाराएं हैं, जिनमें 13 नए प्रावधान शेष में संशोधन.
सामूहिक बलात्कार पर 20 साल की कारागार या उम्रकैद.
नाबालिक से गैंगरेप में होगी उम्रकैद या मौत की सजा.
यौन संबंध के लिए झूठ बोलकर सम्बंध बनाना होगा अपराध.
पीडि़ता का बयान महिला अधिकारी की मौजूदगी में होगा.
भोगोड़े अपराधी को 10 साल की होगी सजा.
भगोड़े अपराधियों की संपत्तियों को जब्त करने के लिए मिलकर कदम उठाए जाएंगे.
भगोड़े अपराधी की गैर मौजूदगी में अदालत में चलेगा मुकदमा.
भारत के साथ अन्य देशों में ज़ब्त होगी अपराधी की संपत्ति.
अगले 50 सालों में हर संभव तकनीकी बदलाव होंगे.
पुलिस और अदालती कार्यवाही का होगा कम्प्यूटराईजेशन.
7 साल या उससे अधिक सजा के मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य.
जांच में गवाही दर्ज करना होगा अनिवार्य
पुलिस कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया की होगी वीडियोग्राफी.
बलात्कार पीडि़ता के ई बयान का होगा प्रावधान.
अदालत में ऑडियो ,वीडियो पेश करने का प्रावधान.
गवाह ,अभियुक्त ,विशेषज्ञ ,पीडि़त अदालत में वर्चुल पेश हो सकते है.
बहस पूरी होने के 30 दिनों के अंदर होंगे फैसले.
ब्रिटिश काल के राजद्रोह के कानून को किया गया समाप्त.
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर होगी सख्त सजा.
आतंकवादी कृत्यों के लिए उम्रकैद व मृत्युदंड की सजा.
इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल साक्ष्य अब साक्ष्य के रूप में माने जाएंगे.
पहली बार अपराध करने वाले को एक तिहाई मिली सज़ा पूरी करने पर मिल सकेगी ज़मानत.
गवाहों की सुरक्षा के लिए गवाह संरक्षण योजना होगी लागू.