‘ऊबाणे पगां’ राजस्थानी भाषा मान्यता की यात्रा का श्रीडूंगरगढ़ में हुआ समापन
बीकानेर। राजस्थानी भाषा की मान्यता ओर राजभाषा के मुद्दे को लेकर राजस्थानी मोट्यार परिसद के तत्वावधान में सुदेश राजस्थानी, मदन चारण दासोड़ी, राजुनाथ के संकल्प उभाणे पगां हस्ताक्षर अभियान यात्रा 21 दिनों पूर्व बीकानेर से शुरू हुई थी जिसका विश्व प्रसिद्ध हास्य कलाकारों के मायड़ के मान मिलने तक साथ संघर्ष के वादे के साथ आज श्रीडूंगरगढ़ की पावन धरा पर मान्यता की लड़ाई आगे ले जाने के संकल्प के साथ समाप्त हुई। 21 दिनों पूर्व शुरू हुई यात्रा को संबोधित करते हुए हास्य कलाकार मुरारीलाल पारिक ने कहा कि मान्यता की इस लड़ाई में हम सब कलाकार साथ हैं। बन्नू पंकु नाम से हास्य कलाकारी में अपना नाम कमाने वाले बनवारीलाल, पंकज सोनी ने कहा कि हमारा यह कर्तव्य है कि हम भाषा के लिए कार्य करें। अलगोजा वादक मनोज प्रजापत, हास्य कलाकार रामकर रोवणजोगो, छतीस फिट लंबी मूंछों के स्वामी जगमालसिंह, इंटरनेशनल गोल्ड मेडलिस्ट शीशपाल लिम्बा (पेरालोम्पिक) आदि ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थानी मोट्यार परिसद के मायड़ की मान्यता के संकल्प में हम सब साथ हैं।
राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्याम महर्षि, साहित्यकार चेतन स्वामी, छैल चारण आदि साहित्यकारों ने सम्बोधित किया। यात्रा संयोजक रामावतार उपाध्याय ने यात्रा की जानकारी देते हुए आगामी रणनीति पर विस्तार से बात रखी। मोट्यार परिसद बीकानेर के संभाग अध्यक्ष डॉ हरिराम बिश्नोई, रामचंद्र सारडीवाल, एडवोकेट हिमांशु टाक, प्रशांत जैन, राजेश चौधरी, एडवोकेट राजेश बिश्नोई, कमल किशोर मारू ने अतिथियों का अभिनंदन किया। गणेश सिंह राजपुरोहित, भगीरथ नाथ, आसनाथ, पार्षद मनोज देपावत, बाबूलाल, हेमराज बिठू आदि ने सभा को संबोधित किया। राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर आसपास के गांवों से व्यवस्था संभाल रहे रामनिवास सिद्ध, अश्विनी बिट्टू, रवि स्वामी, सम्पत सिंह, ओमप्रकाश, श्याम, पूनम मुंड सुलोचना आदि ने राजस्थानी भाषा के हित के लिए आमजन को जागरूक किया।