प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पूर्ण, 500 साल पुराना सपना साकार
अयोध्या में रामलला के आगमन का इंतजार खत्म हो गया है। रामलला की अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मंगल ध्वनि के बीच लाल कपड़े पर रखा चांदी का छत्र लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवनिर्मित राम मंदिर की सीढिय़ों पर चढ़े और 84 सेकंड के अभिजीत मुहूर्त के भीतर संकल्प लेकर प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पूरा किया। इसके बाद वह शेष अनुष्ठानों को पूरा करने के लिए मंत्रोच्चार के बीच ‘गर्भ गृहÓ में चले गए। पांच साल पुरानी रामलला की भव्य पांच फीट ऊंची प्रतिमा का आखिरकार दुनिया के सामने अनावरण किया गया।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए गर्भ गृह में प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठे थे। यह समारोह शंखनाद और हेलीकॉप्टर द्वारा मंदिर पर फूलों की वर्षा के बीच पूरा हुआ। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो गई और 500 साल का सपना आखिरकार साकार हो गया।
रामलला की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार योगीराज अरुण ने कहा, मुझे लगता है कि मैं इस धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं सपनों की दुनिया में हूं। गरुण की मूर्ति राजस्थान के कलाकार ने बनाई है। कपड़े और भगवान के वस्त्र दिल्ली के एक युवक मनीष त्रिपाठी ने बनाए। आभूषण लखनऊ से बनवाए गए हैं।
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि राम मंदिर के लिए देशभर में लोगों ने दिल खोलकर दान दिया है। देश का ऐसा कोई कोना नहीं रहा है जहां से राम के लिए उपहार ना आए हों। एक बानगी गिनाते हुए उन्होंने कहा कि मंदिर के लिए घंटा कासगंज से आया तो नीचे पडऩे वाली राख रायबरेली के ऊंचाहार से आई है। गिट्टी मध्य प्रदेश के छतरपुर से पहुंची तो ग्रेनाइट तेलांगाना से आया। पत्थर राजस्थान के भरतपुर से पहुंचा तो दरवाजों की लकड़ी महाराष्ट से। उस दरवाजे पर पर सोने और डायमंड का काम मुंबई के एक व्यापारी का है।