इन 18 व्यवसायों को किया शामिल, रियायती दरों पर मिलेगा लोन
बीकानेर । संभागीय आयुक्त श्रीमती उर्मिला राजोरिया ने कहा है कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत जिले के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को संरक्षित कर उनका विकास करने के उद्देश्य से अधिक से अधिक लोगों को प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड उपलब्ध करवाए जाएं।
श्रीमती राजोरिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत हुई प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि इस योजना के तहत 18 पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है, जिनमें बढ़ी, लोहार सुनार कुम्हार, मूर्तिकार, धोबी दर्जी आदि शामिल हैं । उन्होंने कहा कि योजना के तहत शिल्पकारों और कारीगरों को आईडी कार्ड के जरिए पहचान दिलाई जाएगी ।साथ ही 5 प्रतिशत के रियायती ब्याज दर के साथ एक लाख (पहली किस्त) और 2 लाख (दूसरी किस्त) तक के ऋण की सहायता दिए जाने का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि सभी ग्राम पंचायतों को पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से ऑनबोर्डिंग कराए जाने की कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए।
संभागीय आयुक्त ने कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत आयोजित किया जा रहे शिविरों में इस योजना के संबंध में अधिक से अधिक प्रचार प्रसार हो तथा पात्र लोगों का पंजीयन करने का काम भी प्राथमिकता से किया जाए।
जिला उद्योग केंद्र की महाप्रबंधक श्रीमती मंजू नैण गोदारा ने बताया कि योजना के तहत रियायती दर पर ऋण के साथ, कौशल उन्नयन , टूलकिट प्रोत्साहन व डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन के लिए सहायता भी उपलब्ध करवाई जाएगी। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए संबंधित कारीगर कॉमन सर्विस सेंटर या पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत विभिन्न ग्राम पंचायत और जिला मुख्यालय पर आयोजित किया जा रहे शिविरों में भी इस योजना के तहत संबंधित का पंजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में अब तक 2 हजार 118 लोगों ने विभिन्न श्रेणियां में इस योजना के तहत पंजीकरण करवाया है।
18 पारंपरिक व्यवसायों को किया गया शामिल
श्रीमती गोदारा ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पहली बार में 18 पारंपरिक व्यावसायों को शामिल किया गया है। जिनमें सुथार, नाव बनाने वाले, अस्त्रकार, लोहार, हथौड़ा और औजार निर्माता , ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोडऩे वाले, राजमिस्त्री, झाड़ू टोकरी और चटाई बुनकर, नाई , मालाकार, धोबी दर्जी, चर्मकार तथा मछली पकडऩे का जाल बनाने वाले कारीगरों को इस योजना के तहत आईडी कार्ड या प्रमाण पत्र दिए जाने का प्रावधान किया गया है।