30 दिन नहीं होंगे मांगलिक कार्य, व्रत और जप का है महत्व : गिरधारी सूरा
मलमास 16 दिसम्बर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक
मलमास में विवाह तथा मांगलिक कार्यो के मुहूर्त नहीं होने के कारण इसके बाद ही मांगलिक आयोजनों का सिलसिला पुन: शुरू होगा। जो व्यक्ति मलमास में पूरे माह व्रत का पालन करते हैं उन्हें पूरे माह भूमि पर ही सोना चाहिए. एक समय केवल सादा तथा सात्विक भोजन करना चाहिए। इस मास में व्रत रखते हुए भगवान पुरुषोत्तम अर्थात विष्णुजी का श्रद्धापूर्वक पूजन करना चाहिए तथा मंत्र जाप करना चाहिए। श्रीपुरुषोत्तम माहात्म्य की कथा का पठन अथवा श्रवण करना चाहिए। श्रीरामायण का पाठ या रुद्राभिषेक का पाठ करना चाहिए। साथ ही श्रीविष्णु स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है और अपने कुल देवी व कुल देवता की पूजा और उनका अर्चन करना चाहिए। मलमास के आरम्भ के दिन श्रद्धा भक्ति से व्रत तथा उपवास रखना चाहिए। मलमास में प्रारंभ के दिन दानादि शुभ कर्म करने का फल अत्यधिक मिलता है। मल लगने के 15 दिन बाद या एक शनिवार, एक मंगलवार निकलने के बाद शनिवार को या मंगलवार को मल उतारना चाहिए।
यह कार्य न करें, रखें इन बातों का ध्यान- महादान, अग्नि का आधान, लम्बी पूर्व यात्रा, तीर्थ यात्रा, गुप्त देवता का दर्शन, स्थिर देव प्राण प्रतिष्ठा, यज्ञोपवित संस्कार, न्यास, कुपादी निर्माण, आश्रम में प्रथम प्रवेश, विद्या प्रारंभ, नवजन्मे बालक को घर से बाहर निकलना, राज अभिषेक, मुंडन संस्कार, व्रत उदयापन, अन्नप्राशन, ग्रहों का नव निर्माण, गृह प्रवेश, विवाह, नामकरण, महोत्सव, अष्टकाश्रध्य कर्म आदि वर्जित बताये गए हैं। इसमें प्रश्चित्त कर करने हेतू हेमाद्री करनी होती है और कुछ शांति कर्म है जो नियमित चलये रहते हैं। किन्तु सूर्य के साथ चन्द्र भी मूल नक्षत्र में नहीं होना चाहिए। जो व्यक्ति इस दिन व्रत तथा पूजा आदि कर्म करता है वह सीधा गोलोक में पहुंचता है और भगवान कृष्ण के चरणों में स्थान पाता है। मलमास की समाप्ति पर स्नान, दान तथा जप आदि का अत्यधिक महत्व होता है। इस मास की समाप्ति पर व्रत का उद्यापन करके ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और अपनी श्रद्धानुसार दानादि करना चाहिए. इसके अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मलमास माहात्म्य की कथा का पाठ श्रद्धापूर्वक प्रात: एक सुनिश्चित समय पर करना चाहिए।