20 वर्षीय युवक ने जीने की आस छोड़ दी थी, डॉ. सुथार ने अतिजटिल सर्जरी कर मरीज को दिया जीवनदान
उत्तर पश्चिमी राजस्थान में पहली बार हुई अतिजटिल हृदय बीमारी की सफल सर्जरी
एपेक्स हॉस्पिटल में चिरंजीवी योजना का मिला लाभ
उत्तर पश्चिमी राजस्थान में पहली बार हुई इस जटिल सर्जरी को सफल बनाकर डॉ. जयकिशन सुथार व उनकी संपूर्ण सीटी
वीएस टीम ने हार्ट सर्जरी में (बीकानेर में) एक नया आयाम भी स्थापित किया।
बीकानेर के जाने-माने कार्डियक सर्जन डॉ. जयकिशन सुथार व उनकी ष्टञ्जङ्कस् टीम ने एक और अति दुर्लभ एवं अति जटिल सर्जरी को सफल कर के मरीज को जीवनदान दिया है। रानी बाजार स्थित अपेक्स हॉस्पिटल में मरीज के परिजनों ने कार्डिक साइंस मैनेजर सचिन सुथार से इलाज के लिए सम्पर्क किया। सचिन सुथार ने बताया कि मरीज कमल (परिवर्तित नाम ) उम्र 20 वर्ष निवासी हनुमानगढ़ को ञ्ज्रक्कङ्कष्ट (टोटल एनामोलॉयस पलमोनरी वीनस कनेक्शन) नाम की अति दुर्लभ बीमारी थी। मरीज ने अनेक बड़ी अस्पतालों में इलाज के लिए सम्पर्क किया लेकिन इस दुर्लभ बीमारी से निजात नहीं पा सका। निराश होकर मरीज ने तो इस दुर्लभ बीमारी के कारण जीने की उम्मीद भी छोड़ दी थी। काफी महंगी सर्जरी होने की वजह से मरीज व मरीज के परिजन ऑपरेशन के लिए भी घबराए हुए थे। इस पर मैनेजर सचिन सुथार ने चिरंजीवी योजना के तहत इलाज करवाने की बात कही और मरीज के परिजनों को राहत दिलवाया। जटिल बीमारी को देखते हुए डॉ. जयकिशन सुथार ने एपेक्स हॉस्पिटल बीकानेर के फिजीशियन डॉ मनीष बोथरा, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र पूनिया एवं कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. श्रवण सिंह, कार्डिक एनसथेटिक एक्सपर्ट डॉ. गिरीश तंवर से प्रीऑपरेटिव जांच व सलाह की।
आठ घंटे चला ऑपरेशन, दिल के बड़े छेद और गंदे खून की नसों को हटाया
डॉ. जयकिशन सुथार ने बताया कि सामान्यत: यह बीमारी एक लाख लोगों में से केवल एक या दो लोगों में को ही होती है। इस बीमारी में मरीज के हृदय में साफ खून लाने वाली नसों से चेंबर का कनेक्शन नहीं होता है। जिस वजह से सारा साफ खून शरीर के गंदे खून ले जाने वाली नसों से जुड़ा होने के कारण, उसमें मिल जाता है। मरीज की सभी रिपोर्ट्स देखने के बाद पता चला की इस बीमारी के साथ ही मरीज के हृदय में बड़ा छेद भी है। सर्जरी के दौरान मरीज के फेफड़ों से आने वाली साफ खून की नसों का कनेक्शन हृदय के उचित चेंबर लेफ्ट एट्रियम में किया गया और चेंबर का नवनिर्माण किया गया। साथ ही गंदे खून वाली नसों के कनेक्शन को हटाया गया तथा मरीज के दिल का छेद जो काफी बड़ा था उसको भी एक आर्टिफिशियल पैच लगा कर बंद किया गया। डॉ. सुथार ने बताया कि करीब 8 घंटे तक चली इस सफल सर्जरी के पश्चात अब मरीज बिल्कुल स्वस्थ है।
इस टीम ने दिलाई सफलता
डॉ. जयकिशन सुथार, डॉ सुरेंद्र पूनिया, डॉ श्रवण सिंह,
डॉ गिरीश तंवर, डॉ मनीष बोथरा, डॉ विश्वजीत, पवित्र,
मैनेजर सचिन सुथार, राजेंद्र, आदित्य, नर्सिंग ऑफिसर श्रवण चाडी, राजेन्द्र, अर्पण, अंजलि, शंकर, हर्षवर्धन आदि शामिल रहे।