177 दिन बाद बाहर आए केजरीवाल, न ऑफिस जा पाएंगे, न फाइलों पर कर पाएंगे साइन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 177 दिन बाद 13 सितंबर 2024 को दिल्ली आबकारी नीति मामले में जमानत दे दी। यह मामला प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरोद्वारा दायर किया गया था। जस्टिस कांत ने अपने फैसले में कहा कि केजरीवाल को सीबीआई मामले में 10 लाख रुपये के बेल बॉन्ड पर जमानत दी जाती है। केजरीवाल न ऑफिस जा पाएंगे, न फाइलों पर साइन कर पाएंगे। इसके अलावा सार्वजनिक टिप्प्णी पर भी रोक रहेगी।केजरीवाल छह महीने से हिरासत में थे और उनकी जमानत के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत के साथ यह शर्त लगाई कि वह जांच में पूरी तरह सहयोग करेंगे और ट्रायल कोर्ट में उपस्थित रहेंगे?। केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद पहली प्रतिक्रिया में आप मंत्री आतिशी की आई है।
आतिशी ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां दोनों ने केजरीवाल को नियमित जमानत देने पर सहमति जताई। हालांकि, जस्टिस भुइयां ने सीबीआई द्वारा अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय और तरीके पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी शायद केवल ईडी मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत देने में बाधा डालने के लिए की गई थी। कथित शराब नीति घोटाले में पिछले छह महीने से दिल्ली सीएम केजरीवाल जेल में बंद हैं।
दो महीने पहले मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव से पहले कुछ दिनों के लिए जमानत दी गई थी। पिछले हफ्ते, अदालत द्वारा फैसला वापस लेने से पहले अंतिम सुनवाई में केजरीवाल की ओर से पेश हुए अभिषेक सिंघवी ने बताया कि उनके मुवक्किल ने जमानत के लिए ‘ट्रिपल टेस्टÓ कानूनी सिद्धांत को पहले ही पूरा कर लिया है, क्योंकि इसी अदालत ने उन्हें ईडी मामले में जमानत दी थी।
इससे पहले इस मामले में कई अन्य आरोपियों को भी जमानत दी गई थी, जिसमें ्र्रक्क के पूर्व नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह भी शामिल हैं।